बिबेक देबरॉय के इस्तीफे के बाद बड़ा बदलाव: Sanjeev sanyal बने GIPE के नए कुलाधिपति!

Sanjeev sanyal: पुणे के प्रतिष्ठित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (GIPE) में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव हुआ है। हाल ही में, संस्थान के कुलपति डॉ. बिबेक देबरॉय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के तुरंत बाद, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य sanjeev sanyal को नया कुलपति नियुक्त किया गया है। इस बदलाव ने GIPE में नई ऊर्जा और दिशा की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।

Sanjeev Sanyal’s Announcement on X

संजय सान्याल ने अपनी नियुक्ति की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से की। उन्होंने लिखा:
“यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मैंने गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स, पुणे का कुलपति पद स्वीकार कर लिया है। मैं संकाय, कर्मचारियों और छात्रों के साथ मिलकर संस्थान की प्रतिष्ठित धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हूँ।”
उनके इस संदेश से यह स्पष्ट हुआ कि वे GIPE के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं और संस्थान की प्रतिष्ठा को और ऊंचाइयों पर ले जाने की योजना बना रहे हैं। उनके नेतृत्व में संस्थान को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

Role of a Chancellor Explained by Sanyal

अपनी पोस्ट में, सान्याल ने यह भी स्पष्ट किया कि कुलपति का पद उनकी मौजूदा जिम्मेदारियों को प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने लिखा:
“विश्वविद्यालय के कुलपति का पद एक ‘नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन’ की तरह होता है, जिसका मुख्य काम संस्थान को समग्र दिशा और प्रशासनिक नीति प्रदान करना होता है, न कि दैनिक कार्यों का संचालन। इसलिए, यह पद मेरे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नियमित कार्यों पर कोई असर नहीं डालेगा।”
इस स्पष्टीकरण से यह साफ है कि सान्याल अपने नए पद की जिम्मेदारियों और मौजूदा कार्यों के बीच संतुलन बनाए रखेंगे।

Bibek Debroy’s Resignation and the Controversy

डॉ. बिबेक देबरॉय, जिन्हें जुलाई 2024 में GIPE का कुलपति नियुक्त किया गया था, ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक, डॉ. देबरॉय ने अपना इस्तीफा सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी (SIS) के ट्रस्टियों को भेजा। अपने इस्तीफे में उन्होंने संस्थान के पूर्व कुलपति डॉ. अजीत रानाडे के पद से हटाए जाने को लेकर चल रहे विवाद से खुद को अलग करने की इच्छा व्यक्त की।
डॉ. रानाडे के इस्तीफे का मामला इस समय बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है, और इस विवाद ने संस्थान के प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉ. देबरॉय ने इस विवाद से खुद को दूर रखने के लिए इस्तीफा देना उचित समझा।

Sanyal’s Extensive Experience and Achievements

संजय सान्याल का भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक लंबा और प्रतिष्ठित करियर रहा है। वे पाँच वर्षों तक भारत के वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे, जहाँ उन्होंने कई महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियों को आकार दिया। फरवरी 2022 तक इस भूमिका को निभाने के बाद, उन्होंने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में शामिल होकर अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया।
सान्याल ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें OECD, G7 और G20 जैसे संगठन शामिल हैं। वे G20 के फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप के सह-अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जहाँ उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को दिशा देने वाले महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग लिया। महामारी के दौरान, उन्होंने G20 की ग्लोबल एक्शन प्लान तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को स्थिर रखा।

GIPE’s Legacy and the Road Ahead

गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (GIPE) की स्थापना 1930 में हुई थी और यह भारत के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। संस्थान का उद्देश्य सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान देना है। GIPE ने कई दशकों से अर्थशास्त्र, राजनीति और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विद्वानों और नीति-निर्माताओं को तैयार किया है।
संजय सान्याल के आने से, संस्थान की धरोहर को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। उनके नेतृत्व में, GIPE न केवल भारत के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान को और सुदृढ़ कर सकता है।

सान्याल का ध्यान संस्थान के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के साथ मिलकर GIPE को एक नए मुकाम तक ले जाने पर होगा। उन्होंने अपनी पोस्ट में संस्थान के सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने और इसकी धरोहर को मजबूत करने की बात कही है। यह संकेत है कि उनका नेतृत्व एक समावेशी और प्रगतिशील दृष्टिकोण पर आधारित होगा।

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