India’s School Enrollment Drops by 1 Crore: Insights into the Latest Education Data and Its Impact

हाल ही में भारतीय सरकार ने शिक्षा से जुड़ी कुछ रिपोर्ट्स जारी की हैं, जिन्हें लेकर काफी चर्चा हो रही है। शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ी गिरावट का संकेत मिला है, जो खासतौर पर स्कूलों में बच्चों की एनरोलमेंट संख्या से जुड़ा हुआ है। 2023-24 के डेटा के मुताबिक, स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगभग 1 करोड़ की गिरावट आई है, जो 2018-19 के आंकड़ों के मुकाबले एक बड़ा अंतर है। यह आंकड़ा इतने बड़े पैमाने पर गिरना किसी भी सरकार और समाज के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

क्या वाकई में इतने सारे बच्चे शिक्षा से बाहर हो गए हैं? क्या इस गिरावट के पीछे कोई गहरी वजह है, या फिर यह महज आंकड़ों के परिवर्तन का नतीजा है? इन सवालों के जवाब के लिए हमें गहरे विचार की आवश्यकता है।

शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट

हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय ने दो महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स जारी की हैं, जिनका नाम है “यूडीआईएसई प्लस” (Unified District Information System for Education Plus)। इस रिपोर्ट में भारत के स्कूलों में बच्चों की एनरोलमेंट से लेकर, शिक्षा व्यवस्था की अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों का विवरण दिया गया है। यह रिपोर्ट भारत के शिक्षा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन बन सकती है।

यूडीआईएसई का उद्देश्य भारत के स्कूलों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी को एकत्रित करना था। यह डेटा 2012-13 में पहली बार लॉन्च किया गया था, लेकिन समय के साथ इसे और ज्यादा अपडेट और इन्क्लूड किया गया, जिससे शिक्षा की स्थिति को और बेहतर तरीके से समझा जा सके। इस रिपोर्ट में स्कूलों में बच्चों की संख्या, स्कूल की स्थिति, टीचरों की संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कई महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है।

एनरोलमेंट में आई गिरावट: आंकड़े क्या बताते हैं?

यूडीआईएसई प्लस के ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत में 2018-19 के मुकाबले 2023-24 में स्कूल एनरोलमेंट में 1 करोड़ से ज्यादा की गिरावट आई है। 2018-19 में बच्चों की औसत संख्या 26 करोड़ थी, जबकि 2023-24 में यह घटकर 24.8 करोड़ हो गई है। यह गिरावट लगभग 1.2 करोड़ बच्चों की है। यह आंकड़ा शॉकिंग है क्योंकि भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, तो अचानक से इतने सारे बच्चों का स्कूलों से बाहर जाना सवाल उठाता है।

क्या बच्चों ने स्कूल छोड़ दिए हैं?

मंत्रालय का कहना है कि इस गिरावट का मतलब यह नहीं है कि 1.2 करोड़ बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। दरअसल, इस रिपोर्ट में डेटा एकत्र करने का तरीका बदल गया है। पहले स्कूलों द्वारा बच्चों के डेटा का एकत्रण किया जाता था, जिसमें स्कूलों को यह बताना होता था कि कितने बच्चे और कितने लड़के और लड़कियां हैं। लेकिन अब डेटा एकत्र करने का तरीका बदलकर ‘स्टूडेंट वाइज’ हो गया है, यानी अब प्रत्येक बच्चे का व्यक्तिगत डेटा लिया जा रहा है। इसमें बच्चों के नाम, पते, माता-पिता का नाम, आधार कार्ड और अन्य जानकारी शामिल होती है।

नया डेटा कलेक्शन सिस्टम: कैसे काम करता है?

पहले डेटा स्कूल-वार होता था, यानी हर स्कूल को यह रिपोर्ट करना होता था कि उनके स्कूल में कितने बच्चे हैं। लेकिन अब नया सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि हर बच्चे का व्यक्तिगत डेटा स्कूल से लेकर जिला और राज्य स्तर तक सही ढंग से वेरीफाई किया जाए। अब, हर बच्चे का नाम, पता, माता-पिता का नाम, आधार नंबर आदि विवरण दर्ज किए जाते हैं। इस प्रक्रिया के कारण ‘घोस्ट स्टूडेंट्स’ (Double Counting) की समस्या खत्म हो गई है।

घोस्ट स्टूडेंट्स का मतलब है कि कई बार एक ही बच्चे को अलग-अलग स्कूलों में गिन लिया जाता था, विशेषकर उन बच्चों का जिनका एडमिशन एक साथ दो स्कूलों में हुआ था। यह समस्या अब खत्म हो गई है, क्योंकि हर बच्चे की जानकारी अब सही तरीके से दर्ज हो रही है और वेरीफाई की जा रही है।

बिहार और उत्तर प्रदेश में गिरावट का मुख्य कारण

आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा गिरावट बिहार और उत्तर प्रदेश में देखने को मिली है। इन दोनों राज्यों में मिलाकर लगभग 60-65 लाख बच्चों की एनरोलमेंट में कमी आई है। बिहार में अकेले 35 लाख बच्चों की गिरावट देखी गई, जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग 28 लाख बच्चों की। यह संख्या अत्यधिक बड़ी है, और इससे यह भी संकेत मिलता है कि इन राज्यों में बच्चों का दो बार एनरोलमेंट हुआ हो सकता है।

सरकार ने इन राज्यों से डेटा की फिर से जांच करवाने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डेटा सही है। इसके बाद ही इन रिपोर्ट्स को पब्लिश किया गया।

शिक्षा नीति में बदलाव और डेटा की भूमिका

भारत में 2020 में एक नई शिक्षा नीति (NEP 2020) को लागू किया गया था। इस नीति का उद्देश्य था शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना और हर बच्चे को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना। इस नीति के तहत, बच्चों की ट्रैकिंग और उनके लर्निंग लेवल की पूरी जानकारी रखना आवश्यक किया गया था।

इसी कारण सरकार ने डेटा एकत्र करने का तरीका बदला और अब हर बच्चे के एग्जाम परिणाम, अटेंडेंस, और अन्य विवरण भी इस डेटा में शामिल किए जाते हैं। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है, बल्कि टीचर्स के प्रोफाइल और उनकी उपस्थिति के बारे में भी जानकारी मिलती है।

डेटा की महत्ता

यह नया डेटा कलेक्शन सिस्टम सरकारी योजनाओं को सही तरीके से लागू करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, मिड-डे मील, पीएम पोशन, और अन्य सरकारी स्कीम्स के लिए, सरकार को सही डेटा की जरूरत होती है ताकि वह सही तरीके से संसाधनों का आवंटन कर सके। इस डेटा के बिना, सरकार को यह समझने में कठिनाई होती कि किस राज्य या जिले में कितने बच्चों को सहायता की आवश्यकता है।

नए सिस्टम के तहत, सरकार 60 से अधिक आइटम्स का डेटा कलेक्ट करती है, जो सिर्फ बच्चों की संख्या तक सीमित नहीं है। अब इसमें बच्चों का स्वास्थ्य, शिक्षा की गुणवत्ता, परीक्षा परिणाम, और यहां तक कि बच्चों के पेरेंट्स का प्रोफाइल भी शामिल किया जाता है।

शिक्षा क्षेत्र में डेटा का भविष्य

डेटा का उपयोग शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे देखकर हम यह समझ सकते हैं कि कहां पर हमें ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है और कहां पर सुधार की जरूरत है। यह सरकार को फैसले लेने में मदद करता है, चाहे वह नीति स्तर पर हो या फिर किसी विशेष स्कीम के लिए।

इसी डेटा के आधार पर, सरकार अपनी योजनाओं का विस्तार करती है, जैसे कि स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति, शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों के लर्निंग आउटपुट आदि। यह देश की शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

निष्कर्ष

हालांकि स्कूलों में बच्चों की संख्या में आई गिरावट को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि यह गिरावट डेटा कलेक्ट करने के नए तरीके के कारण हुई है। घोस्ट स्टूडेंट्स की समस्या को खत्म करने से वास्तविक स्थिति सामने आई है। इसके बावजूद, यह जरूरी है कि सरकार इस डेटा का उपयोग सही तरीके से करे और सुनिश्चित करे कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।

इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए एक ठोस और संगठित कदम उठाए जा रहे हैं। समय के साथ, नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को पूरा करने में इस तरह के डेटा कलेक्शन सिस्टम का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

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